रविवार, 29 अगस्त 2010

नींद

नींद मुझे कब आती है?

नयनों से दूर है उसका वास,
किंचित नहीं स्वप्निल आभास,
बस एक अकेला मन मेरा,
एक स्मृति जिसमे भरमाती है।

नींद मुझे कब आती है?

मैं दिन भर चलता-फिरता हूँ,
हर क्षण में सौ पल गिनता हूँ,
किन्तु समय कि रेखा तो,
बस दूरी ही और बढाती है।

नींद मुझे कब आती है?

हर सहर मैं जाता नयी डगर,
आशाओं की झोली भर-भर,
फिर लम्बी हो जाती परछाई,
दिन ढलता रात आ जाती है।

नींद मुझे कब आती है?

इस बार करूंगा फिर प्रयास,
सपने बुन लूँगा आस-पास,
अँधियारा तो छाया है,
पर दृष्टि दूर तक जाती है।

नींद मुझे कब आती है?

सुख की घड़ियाँ, दुःख का त्रास,
नहीं तुषार, पर ज्वलंत प्यास,
नीर चक्षु से निकले तो भी,
अब आग कहाँ बुझ पाती है।

नींद मुझे कब आती है?