गुरुवार, 17 नवंबर 2011

आ जा प्यारे, पास हमारे

आ    जा    प्यारे    अब   तू    बंधन     तोड़   के   सारे ,
तेरे   स्वागत   को  उत्सुक,  हमारे  स्वर  तुम्हे पुकारे ।
बड़ी  रौशन ये दुनिया है तुम  इसको और जगमगाओ ,
इस पर पाँव रखने में न तनिक भी तुम हिचकिचाओ ।
तुम्हारे      से   है     रंगीनी,   खुशियाँ   हैं,    बहारे   हैं ,
इसी  इक  गुल  के  खिलने  से   बगिया   में  नज़ारें हैं ।
कोई तो कारण हो जो लहरें चीर दें हम काल-सागर की ;
कोई  आँखों  का तारा जो, हमको दे दिशा ध्रुव तारे सी ।
मौसमों  को  बदलेगी  जो   तेरी   पलकों  की  आहट हो ;
तारों   की   सुषमा   को,   चंदा   की   मुस्कराहट   को ।
सूरज    भी    बिठाएगा    तुमको    श्यामल    छाहों  में ;
बादलों    के    हिंडोले    झूलेंगे    श्रीदा   की   बांहों   से ।
प्रतीक्षा  की   घड़ियाँ    हैं,   होता    मन  ज़रा  ना  स्थिर ;
तुझे  देखने  की  आतुरता आती है बारम्बार घिर -घिर ।
तुम्हे  लहरायें ,  ढुलकायें,  करें  हम  लाड़  सब मिल कर ;
सुमंगल   कामना  ले  कर ,  खड़े  देखो  सभी  हिल कर ।
होते  व्यक्त  ना   मुझसे  अब  अधिक  उदगार  हैं प्यारे ;
अब  आओ तुम  करेंगे  बात  मिल  कर  तभी  हम सारे ।

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