शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

एक नयी रिश्तेदारी है.....

काल     सर्व    प्रबल  है,
निर्णय  नितांत   अटल  है।  
भविष्य    की   तैय्यारी है,
एक    नयी   रिश्तेदारी है।

दुःख – सुख   अपने  अपने,

नहीं  कोई   सांझे   सपने।  
समय    की   बलिहारी है,
एक   नयी    रिश्तेदारी है।

मार्ग - द्वार  सब  पृथक - पृथक हैं,

सब  प्रयास  अब  निर - अरथक हैं।  
चांदी की दीवारों में, दफ़्न वफ़ादारी है,
एक       नयी       रिश्तेदारी  है।

जीवन  सागर  में  लहरें  अथाह,

मिटने   को  ही   भरतीं  उछाह, 
प्रतिज्ञा   मैंने   कब  हारी   है?
एक    नयी      रिश्तेदारी  है।

जीवन - धारा  को  मोड़ दिया,

नव पथ पर  मैंने  छोड़ दिया।  
अब   वो   ही   खेवनहारी है,
एक     नयी    रिश्तेदारी है।

अमृतमयी  हुआ जीवन संगीत,

शेष विगत  की न कोई प्रतीत, 
शिव है,  सब सुमंगलकारी  है,
एक    नयी     रिश्तेदारी है।

समय   बड़ा  बलवान  रे भईया!

लौटा  कभी  ना  मुरली बजईया।  
तू  किस भ्रम में पड़ी ऐ नारी है?
एक     नयी      रिश्तेदारी है।