एक था कुत्ता,
नाम था रॉकी,
बनना चाहे
बढ़िया जाकी।
मिला उसे एक
सरपट घोड़ा,
चढ़ा पीठ पर
मारा कोड़ा।
ले कर उसको
घोड़ा दौड़ा,
तब ही उसने
घोड़ा मोड़ा।
मुड़ कर घोड़ा
संभल न पाया,
कूकर जी को
वहीँ गिराया।
गिरते ही -
कुत्ता घबराया,
फिर न शौक
उसे चर्राया।
हिंदी भाषा एवं साहित्य के प्रति समर्पित एक मौलिक अभिव्यक्ति
एक था कुत्ता,
नाम था रॉकी,
बनना चाहे
बढ़िया जाकी।
मिला उसे एक
सरपट घोड़ा,
चढ़ा पीठ पर
मारा कोड़ा।
ले कर उसको
घोड़ा दौड़ा,
तब ही उसने
घोड़ा मोड़ा।
मुड़ कर घोड़ा
संभल न पाया,
कूकर जी को
वहीँ गिराया।
गिरते ही -
कुत्ता घबराया,
फिर न शौक
उसे चर्राया।