मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

तुम्हारे बिना

किसी को दिल दे कर हम पुरनूर हो गये।
इक इस बात से वो कितने मगरूर हो गये।

मोहब्बत की राहों मे दर्द एक साथी है,
करम आपके इतने बढ़े कि नासूर हो गये।

एक बुत सा बना कर छोड़ा है तुमने,
ख्वाब-ओ-ख्यालात सब काफूर हो गये।

नूर-ओ-शमा ने अपनी हिफ़ाज़त से बेदखल किया,
सियाह सायों के सफ़र हमें मंज़ूर हो गये।

मेरी गर्मी-ए-चश्म तेरी हयात न बन सकी,
सितम जो तुमने किये, हमारे कुसूर हो गये।

एक नये दीवाने से ताज़ा क़लाम रोज़ चाहिए,
मोहब्बत में निहां बाज़ार के दस्तूर हो गये।

आसमान में उड़ते परिंदों को कह दो,
क़फस मे आशियां बनाने को हम मजबूर हो गये।

खामोश मोहब्बत का यही अंजाम होता है,
तुम किसी के क़रीब हो गये, हम किसी से दूर हो गये।

3 टिप्‍पणियां:

  1. इस नए ब्‍लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. अच्‍छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

    जवाब देंहटाएं
  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

    जवाब देंहटाएं