प्रेम धार है,
प्रेम सार है,
ओमकार है,
करतार है।
प्रेम है पूजा,
कोई न दूजा,
सिवा प्रिय के,
कोई न सूझा।
प्रेम सजल है,
प्रेम अ-जल है,
पति के हेतु,
यह निर्जल है।
प्रेम अयास है,
प्रेम रास है।
निशि-दिन
एक सुवास है।
प्रेम हार है?
प्रेम खार है?
रुग्ण पुकार
व चीत्कार है?
प्रेम शमित है,
और भ्रमित है,
जिसने किया न
अर्पित चित्त है।
प्रेम कँवल है,
प्रेम धवल है,
यह निर्मल है,
अति उज्जवल है।
प्रेम अनल है,
या शीतल है?
पूछो उसको जो
प्रेम विह्वल है।
प्रेम भक्ति है,
प्रेम शक्ति है।
कल भी था ये,
और सम्प्रति है।
प्रेम सुस्मित है,
तुम्हे विदित है.
मेरा तुमको
प्रेम नमित है।
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